यमन पर 800 दिन से जारी सऊदी अरब के हवाई हमलों के खिलाफ भारत की राजधानी नई दिल्ली में एक शांति कॉन्फ्रेन्स का आयोजन किया गया जिसमें युवाओं ने बड़ी तादाद में भाग लिया। सब ने एक स्वर में सऊदी अरब की कड़ी शब्दों में निंदा की और अन्तराष्ट्रीय कानून के तहत सऊदी अरब पर युद्ध अपराध के केस चलाये जाने की मांग की। कॉउंसिल फ़ॉर सोशल डेवलपमेंट के उपाध्यक्ष डॉ मनोरंजन मोहंती जी ने कहा कि पश्चिम एशिया में अमेरिका की भूमिका संदिग्ध है, उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा ही सऊदी अरब को हथियार सप्लाई किये जा रहे हैं जिनका इस्तेमाल कर के ही सऊदी अरब द्वारा यमन के निर्दोष लोगों को मारा जा रहा है।
अन्तराष्ट्रीय शांति के लिए काम करने वाले शाहिद प्रधान ने कहा कि सऊदी अरब के तानाशाह दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह हैं और वो क्रूर तानाशाह यमन में लोकतंत्र की बात कर रहे हैं, यह सदी का सबसे बड़ा मज़ाक है।
मौलाना जलाल नकवी ने कॉन्फ्रेन्स को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया में अंधकार छाया हुआ है और इस अंधकार के दौर में हिंदुस्तान ही विश्व शांति का रास्ता पूरी दुनिया को दिखायेगा और यह कॉन्फ्रेन्स विश्व शांति के लिए एक उम्मीद की किरण है।
प्रोग्राम में 1 मिनट का मौन इस युद्ध में मारे गए निर्दोष यमनी लोगों के लिए रखा गया।
प्रोग्राम को सम्बोधित करते हुए युवा क्रांति के अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि सऊदी अरब यमन के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्ज़ा करना चाहता है और इसी लिए यह युद्ध शुरू किया गया है, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यमन में 14000 से अधिक निर्दोष लोग मारे जा चुके हैं लेकिन फिर भी संयुक्त राष्ट्र चुप क्यों है? संयुक्त राष्ट्र की इस चुप्पी को उन्होंने बड़ा शर्मनाक बताया।
फिरोज रब्बानी ने कहा कि यह शिया बनाम सुन्नी की लड़ाई नहीं है बल्कि यह यमन के लोकतांत्रिक हक़ों की लड़ाई है।
5 जून से 15 जून तक पूरे विश्व में “Stop the War on Yemen” का कैंपेन चल रहा है, उसी के तहत हिंदुस्तान में भी ये प्रोग्राम आयोजित किया गया।
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